भारत का मंगलकार्य सफल
अंतरिक्ष यात्रा 10 माह विडिओ में दर्शाया गया :-
https://www.youtube.com/watch?v=lMmyEJiOB-8&index=17&list=PLD8A212A480412E57
9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा, का मार्ग।
9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा, का मार्ग।
यह स्थिति पूर्णतया ‘‘इस पार या उस पार’’ वाली थी, क्योंकि समस्त कौशल के बाद भी एक तुच्छ सी भूल ऑर्बिटर को अंतरिक्ष की गहराइयों में धकेल सकती थी। यान की पूर्ण कौशल युक्त प्रक्रिया, मंगल के पीछे हुई; जैसा कि पृथ्वी से देखा गया। इसका अर्थ यह था कि मंगल परिक्रमा प्रवेश प्रज्ज्वलन में लगे, 4 मिनट के समय से लेकर प्रक्रिया के निर्धारित समय पर समापन के तीन मिनट बाद तक, पृथ्वी पर उपस्थित वैज्ञानिक दल यान की प्रगति नहीं देख पाए। ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम से कम 6 माह तक दीर्घ वृत्ताकार पथ पर घूमता रहेगा और उपकरण एकत्र आंकड़े पृथ्वी पर भेजते रहेंगे। मंगल की कक्षा में यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या सतह पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है। अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रूस को मिली थी। कुल 450 करोड़़ रुपये की लागत वाले मंगल यान का उद्देश्य लाल ग्रह की सतह तथा उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करना तथा उसके वातावरण में मीथेन गैस की खोज करना है। पृथ्वी पर जीवन के लिए मीथेन एक महत्वपूर्ण रसायन है। इस अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था। यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=jwHBMR8C6B0&index=87&list=PLDB2CD0863341092A
भारत का एमओएम न्यूनतम लागत वाला अंतरग्रही मिशन है। नासा का मंगल यान मावेन 22 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ था। भारत के एमओएम की कुल लागत मावेन की लागत का मात्र दसवां अंश है। कुल 1,350 किग्रा भार वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं। इन उपकरणों में एक संवेदक (सेंसर), एक रंगीन कैमरा और एक 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। संवेदक लाल ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत मीथेन अर्थात मार्श गैस का पता लगाएगा। रंगीन कैमरा और 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' लाल ग्रह की सतह का तथा उसमें उपलब्ध खनिज संपदा का अध्ययन कर आंकड़े जुटाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और मावेन की टीम ने भारतीय यान के मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए इसरो को बधाई दी है।
मंपमि 450 करोड़ रूपये की लागत वाला सबसे अल्प व्ययी अंतर ग्रहीय मिशन था और भारत इसके साथ ही विश्व में पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान स्थापित करने वाला एकमात्र राष्ट्र बन गया है। जबकि यूरोपीय संघ, अमेरिकी और रूसी यान को इसके लिए कई बार प्रयास करने पड़े। मंगलयान कम से कम आगामी छह माह तक दीर्घवर्त्ताकार रूप में मंगल के चक्कर लगाएगा और अपने उपकरणों का उपयोग करते हुए पृथ्वी पर चित्र भेजेगा। मंगलयान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में गत वर्ष पांच नवंबर को पीएसएलवी राकेट के माध्यम प्रक्षेपित किया गया था। तथा यह एक दिसंबर को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर गया था।
मंपमि 450 करोड़ रूपये की लागत वाला सबसे अल्प व्ययी अंतर ग्रहीय मिशन था और भारत इसके साथ ही विश्व में पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान स्थापित करने वाला एकमात्र राष्ट्र बन गया है। जबकि यूरोपीय संघ, अमेरिकी और रूसी यान को इसके लिए कई बार प्रयास करने पड़े। मंगलयान कम से कम आगामी छह माह तक दीर्घवर्त्ताकार रूप में मंगल के चक्कर लगाएगा और अपने उपकरणों का उपयोग करते हुए पृथ्वी पर चित्र भेजेगा। मंगलयान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में गत वर्ष पांच नवंबर को पीएसएलवी राकेट के माध्यम प्रक्षेपित किया गया था। तथा यह एक दिसंबर को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर गया था।
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