पीएसएलवी सी-23 सफलतापूर्वक प्रक्षेपण, भारत की नई उड़ान, गौरव का क्षण: मोदी
श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) : भारत ने सोमवार को पीएसएलवी-सी23 राकेट द्वारा 4 देशों के 5 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और ये उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को देश की अंतरिक्ष क्षमता की ‘अभिपुष्टि’ करार दिया है। यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रथम प्रक्षेपण पैड से प्रात:9 बज कर 52 मिनट पर रॉकेट को छोड़ा गया। मोदी इस महत्वपूर्ण क्षण के साक्षी बने। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी23 ने सभी 5 उपग्रहों को, प्रक्षेपण के 17 से 19 मिनटों के भीतर एक-एक करके, उन कक्षाओं में स्थापित कर दिया, जहां इन्हें भेजे जाने का लक्ष्य रखा गया था। भारत की नई उड़ान (पीएसएलवी) सी-23 प्रक्षेपण http://www.youtube.com/watch?v=HOL1SGFdO4k&list=PLD8A212A480412E57&feature=share&index=12प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-23 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए देश को बधाई देते हुए कहा कि यह भारत की अंतरिक्ष क्षमता को 'वैश्विक मान्यता' है। इस रॉकेट ने 5 विदेशी उपग्रहों को अपने साथ लेकर उड़ान भरी है। मोदी ने इस रॉकेट के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण की बधाई देते हुए कहा कि सभी को बधाई। मैं इस अवसर का साक्षी बनकर गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक मान्यता करार दिया।
प्रधानमंत्री ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारा मंगल अभियान 'हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी' से सस्ता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा कार्यक्रम स्वदेशी है। वैज्ञानिकों की पीढियों ने भारत को आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बनाने के लिए बहुत कार्य किया।
इसरो/ भारत की नई उड़ान, 5 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण
मिशन तैयारी समीक्षा समिति और प्रक्षेपण बोर्ड ने गत शुक्रवार को ही इस प्रक्षेपण को स्वीकृति दे दी थी, किन्तु आज पूर्व निर्धारित समय में फिर परिवर्तन किया गया और इसका प्रक्षेपण 3 मिनट विलम्ब से प्रात:9:52 बजे हुआ। यह विलंब रॉकेट के मार्ग में ‘संभवत: अंतरिक्ष के मलबों’ के आने के कारण हुआ। पीएसएलवी-सी23 जिन 5 उपग्रहों को अपने साथ ले गया, उनमें फ्रांस का 714 किलोग्राम का भू अवलोकन उपग्रह स्पोत-7 प्रमुख है। इसके अतिरिक्त जर्मनी के 14 किलोग्राम के ‘एसैट’, कनाडा के एनएलएस7.1 (कैन-एक्स4) और एनएलएस7.2 (कैन-एक्स4) तथा सिंगापुर के उपग्रह वेलोक्स-1 को प्रक्षेपित किया गया है। कनाडा के दोनों उपग्रह 15-15 किलोग्राम और सिंगापुर का उपग्रह 7 किलोग्राम का है। अंतरिक्ष स्थल का पहला अधिकारिक भ्रमण करने वाले मोदी ने अंतरक्षि समुदाय से कहा कि वह एक दक्षेस उपग्रह का विकास करें। इसके साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों के पहले के योगदानों का स्मरण करते हुए उनकी जमकर प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने उन चित्रों का उल्लेख किया जिनमें रॉकेट की सामग्री को साइकिलों पर रखकर लाते-लेजाते दिखाया गया है। अति प्रसन्न दिख रहे मोदी ने कहा कि इस प्रक्षेपण का साक्षी बनना सम्मान की बात है तथा उन्होंने इस सफल प्रक्षेपण के लिए ‘प्रतिभाशाली अंतरिक्ष वैज्ञानिकों’ को बधाई दी।
मोदी ने मिशन कंट्रोल रूप से कहा, ‘प्रक्षेपण हर भारतीय को आनंदित और गौरवान्वित किया है और मैं आपके चेहरे पर दिख रही प्रसन्नता को देख सकता हूं।’ उन्होंने कहा कि विदेशी उपग्रहों का यह सफल प्रक्षेपण ‘भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि’ है। इस अवसर पर मोदी के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन तथा केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू उपस्थित थे। प्रधानमंत्री श्रीहरिकोटा में इस प्रक्षेपण का साक्षी बनने के लिए रविवार को चेन्नई पहुंचे थे। यह स्थान चेन्नई से प्राय: 100 किलोमीटर कर दूरी पर है।
फ्रांसीसी उपग्रह स्पोत-7 को स्पोत-6 उपग्रह के बिल्कुल विपरीत दिशा में स्थापित किया जाना है। स्पोत-6 को इसरो ने 2012 में प्रक्षेपित किया था। यूरोपीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी ‘एयरबस डिफेंस एंड स्पेस’ ने स्पोत-7 का निर्माण किया है। जर्मनी का एसैट उपग्रह वैश्विक समुद्रीय यातायात निगरानी व्यवस्था पर केंद्रित होगा। यह जर्मनी का प्रथम डीएलआर उपग्रह है।
कनाडा के दोनों उपग्रहों एनएलएस 7.1 और एनएलएस 7.2 को टोरंटो विश्वविद्यालय ओर अंतरिक्ष अध्ययन-अंतरिक्ष उड़ान प्रयोगशाला संस्थान ने विकसित किया है। सिंगापुर के 'नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी' की ओर से विकसित उपग्रह 'वेलोक्स-1 इमेज सेंसर' के आंतरिक डिजाइन के लिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शक है। इन 5 उपग्रहों का प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक इकाई 'एंट्रिक्स' के इन देशों के साथ किए गए व्यावसायिक प्रबंधों के तहत किया गया है।
(पीएसएलवी) सी-23 की विशेषता
इस उपग्रह को पृथ्वी की निगरानी के लिए तैयार किया गया है। जर्मनी के उपग्रह AISAT का उपयोग उच्च यातायात क्षेत्र 'हाई ट्रैफिक जोन' में 'सिग्नल व्यवस्था' को उत्तम बनाने के लिए किया जाएगा। कनाडा के 2 छोटे उपग्रहों NLS7.1 और NLS7.2 का उपयोग उप नगरीय क्षेत्र में जीपीएस तंत्र को उत्तम बनाने के लिए किया जाएगा। सिंगापुर के उपग्रह VELOX-1 को 'इमेज सेंसर' के रूप में 'डिजाइन' किया गया है।
इसरो की सफलता यात्रा
इसरो ने अब तक 19 देशों के 35 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है जिससे देश के पास काफी विदेशी मुद्रा आई है। ये देश अल्जीरिया, अर्जेंटीना, आस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इस्राइल, इटली, जापान, कोरिया, लक्जमबर्ग, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, तुर्की और ब्रिटेन हैं।
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